मनहरण घनाक्षरी (ब्रज भाषा)
🙏
!!श्रीं !!
सुप्रभात !
जय श्री राधेकृष्ण !
शुभ हो आज का दिन. !
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(घनाक्षरी)
मुख जाकौ है मयंक, माथे मोरा कौ है पंख,
पटबंद पीरौ पाम पैंजनी सुहात है ।
कारे कजरारे नैन जाके लागैं मीठे बैन,
मंद मुसकान मुख मन कूँ लुभात है ।।
बैठ यमुना के तीर चोरै गोपिन के चीर ,
कदम्ब की डारी बैठ बाँसुरी बजात है ।
राधिका के स्याम कूँ प्रनाम करूँ बार-बार,
चरनन ‘ज्योति’ सीस अपनौ झुकात है ।।
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राधे…राधे…!
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महेश जैन ‘ज्योति’,
मथुरा ।
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