मनमीत जरूरी है
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गीत
मन से हो मिलन मन का तो प्रीत जरूरी है।
अब राधा के कृष्णा सा मनमीत जरूरी है।।
उस पाक मुहब्बत को यादें जो अमर कर दें
अधरों पे रखी मुरली तो गीत जरूरी है।।
दुनिया का न बंधन हो दिल पर नही पहरा हो।
ये प्रेम हमारा तो सागर से भी गहरा हो।
अब एक हुए हम तुम पर रूह रही प्यासी।
पाउँ तुझे जन्मों तक ये रीत जरूरी है।
अब राधा के —— —-
थक हार के जीवन से ये मन नहीं नीरस हो।
हर फ़र्ज़ करें पूरा व्याकुल नहीं अंतस हो।
सुख दुख का है इक संगम हम गीत मधुर गाएं
कोई भी हो अवसर पर संगीत जरूरी है।
राहें थीं कठिन लेकिन मैं हारी नहीं जग से।
चलती ही गयी पथ पे काँटे मिले पग पग पे।
आसान डगर होगी जब हाथ हो हाथों में।
तुमआन मिले हमसे तो जीत जरूरी है।
✍श्रीमती ज्योति श्रीवास्तव साईंखेड़ा