मनभावन १० हाइकु
मिट्टी का माधो
मत बन इंसान
जीवन साध
क्रोध है आता
भवंडर मचाता
त्रासदी लाता
प्रात: की बेला
उदित प्रभाकर
लगा है मेला
तरु की छाया
है राहत दिलाए
प्रभु की माया
बही बयार
मुस्काई है प्रकृति
गाए मल्हार
सर्दी की मार
गरीब सहे जाए
दिखे लाचार
कुर्सी के मारे
नेता सभी हमारे
लगाएँ नारे
स्वार्थ में नेता
करता है पाखंड
बेहाली देता
सद् विचार
बढ़े कुल की शान
सजे आचार
ज्ञान कुबेर
प्रवाहित हमेशा
भौर सवेर