*मनः संवाद—-*
मनः संवाद—-
15/09/2024
मन दण्डक — नव प्रस्तारित मात्रिक (38 मात्रा)
यति– (14,13,11) पदांत– Sl
अगर कभी वो याद करें, पड़ी जरूरत आपकी, मत होना नाराज।
अंतिम आशा किरण तुम्हीं, कर सकते उस कार्य को, दुर्लभ तीरंदाज।।
उस्तादी है उस फन पर, अनुपम रही विशिष्टता,
लोग करे सब नाज।
बिना प्रलोभन अगर किया, आज मदद उस यार की, माने लोग पृथाज।।
कई तरह के लोग यहाँ, भिन्न परिस्थिति है मगर, लगते हैं संतुष्ट।
सब कुछ सहकर जिंदा हैं, वो अपने परिवार में, खुशियों से अध्युष्ट।।
सिर्फ समझदारी सीखी, बहे समय की धार में, करता मन को पुष्ट।
अनुभव जीवन से पाया, दुनिया विद्यालय बड़ा, नहीं किसी से रुष्ट।।
— डॉ. रामनाथ साहू “ननकी”
संस्थापक, छंदाचार्य, (बिलासा छंद महालय, छत्तीसगढ़)
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