*मनः संवाद—-*
मनः संवाद—-
08/09/2024
मन दण्डक — नव प्रस्तारित मात्रिक (38 मात्रा)
यति– (14,13,11) पदांत– Sl
श्री गणनायक की सेवा, करते जन गणमान्य सब, बनते प्रिय गणनीय।
मंगलघट सिद्धिविनायक, गजमुख गणनाध्यक्ष तुम, सबके हो आत्मीय।।
शुभ-लाभ महा गणपति हो, पूजित नित गणदेवता, गणदेवी रमणीय।
चुंबकीय आकर्षण हो, नमन करूँ छंदाधिपति, जीवन हो स्वर्गीय।।
शुक्ल पक्ष आगमन हुआ, भाद्र चतुर्थी अवतरण, स्वामी श्री हेरंब।
असुर दलों का दमन किया, सुर-नर- मुनि हित कार्य में, करते नहीं विलंब।।
मातृ-शक्ति आशीष मिला, शिव- हरि का वात्सल्य धन, देती गौरी अंब।
पद्य विशारद कृपा करो, छंद देव तुमको नमन, आश्रित हूँ जगदंब।।
— डॉ. रामनाथ साहू “ननकी”
संस्थापक, छंदाचार्य, (बिलासा छंद महालय, छत्तीसगढ़)