मनः दशा
एक भाई के मातम दूजा खुशियां मना रहा।
एक के घर अंधेरा दूजा रोशनी जला रहा।।
दीपावली पर दिए जलाना परम्परा को निभाना है।
आंखों में आंसू का सैलाब जिसे सबसे छिपाना है।।
खुशियां जीवन से रूठी ऐसे मानो ग्रहण लग गया हो।
आज अकेलापन सता रहा मानो जीवन चला गया हो।।
उन सभी भुक्त भोगियों को दिल से समर्पित जिन्होंने कोरोना काल में अपनों को खो दिया है।
भरे मन से दीपावली की शुभकामनाएं
वीर कुमार जैन ‘अकेला’