“मध्यमवर्ग :-एक प्रश्न?”(कविता “
“मध्यमवर्ग :-एक प्रश्न? ”
(कविता)
सागर की गहराई सी
शांत,स्तब्ध गंभीर
मेरी भावनाओं का क्या?
लहरों के श्रृंग गर्तों में
फँसकर
उलझ सी जाती है।
मेरे जीवन के उन
बेमिसाल, चमचमाते
लक्ष्यों का क्या?
राहों के उबड़ खड्डो में
फँसकर
ठिठक से जाते हैं।
मेरे जीवन के उन
खुशनुमा, अनमोल
फलों पलों का क्या?
वक्त के फेरों में
फँसकर
सिमट से जाते हैं।
मेरे जीवन के उन
शानदार, ऊँचे-ऊँचे
सपनों का क्या?
दुनियादारी के झमेलों में
फँसकर
चिटक से जाते हैं।
मेरे जीवन के उन में
नेक, अच्छे-अच्छे
ख्यालों का क्या?
आर्थिक उहापोह में
फँसकर
बिखर से जाते हैं।
मेरे जीवन के उन
रंगीन, कल्पनाशील
अरमानों का क्या?
कर्तव्यों के जाल में
फँसकर
जकड़ से जाते हैं।
रामप्रसाद लिल्हारे “मीना “