ऊँ
ऊँ
ऊँ शब्द एक मंत्र है,ध्वनि सृष्टी जग मूल ।
जड़ चेतन में व्याप्त है, उत्पत्ती निर्मूल ।।
यही ब्रह्म आभास है,ऊँ ब्रह्म हरि नाम।।
ऊर्जा शक्ति पुंज सदा, प्राण तत्व का धाम ।।
उच्चारण करते रहो, पूर्ण लाभ नहि ज्ञात ।।
ध्वनी गुंजन प्रभाव ही,देता रोग निजात ।।
नियत समय के जाप से ,मिटते सारे ताप ।।
ऊँ भजन एक साधना ,दूर करे संताप ।।
ऊँ ध्वनी कण कण रमी,जगह नहीं जग रिक्त।।
ऊँ मंत्र जो नहीं जपा,जीवन समझो सिक्त ।।
ऊँ शब्द त्रिदेव रहते, रूप बनाकर एक।
सृष्टि सृजन संकल्प हित,तीनों रूप अनेक।।
ऊँ जगत आधार सदा, शक्ति अदृश्य अपार।
भक्ति भाव से जो जपें, धन्य जन्म संसार।।
भव बंधन को काटने, तेज धार तलवार ।
बिन प्रयास दे सफलता, कहते संत विचार।।