मधेशी
मुँखपोथि पर दहेज मुक्त क’ पकड़ि डोर
मधेशी बनल छथि मिथिलाक चकोर ।।
कए रहल छथि सौंसे अनघोल
हमहीं मैथिल! हमहीं मिथिला!! हमहिंटा छी भोर ।।
मिथिला रत्न बांटि पीटथि ढिंढोरा
बिहारी मैथिल केँ कहथि छिछोरा ।।
बाजवाक छनि जिनका नहि लुरि
अपने केँ प्रसंसा करथि ओ भूरि-भूरि ।।
सदिखन बाजथि-
हमहीं क़ाबिल, हमहीं छी होनहार
हमरा आगू-
बाँकी सब मैथिल छथि बेकार ।।
सुनि कए लगलनि बिहारी मैथिल केँ गराबकोर
जखनहिं स्मारिकाक नाम सँ चंदा उगाहीक चर्चा भेलै घनघोर ।।
अपनो मैथिल नवतुरिया सब करथिन जखन सोर
तखने हेतै बिहारक मिथिलाक उत्थान पोरे पोर।।
प्रस्तुति:
पवन ठाकुर
गुरुग्राम
04.12.2021