मधु
***** विधा – सोरठा,शब्द – मधु ******
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मधु मोहक है मास,गीत गाती हैं सखियाँ।
नैन से मिले नैन,लड़ जाती जवां अखियाँ।।
मन को करती मुग्ध,मधुर मोहिनी सी महक।
विकल मन हो अधीन ,पल में जाता है बहक।।
मधु रस सी है प्रीत, घूंट पीकर हो घायल।
लावण्य भरा रूप, तन मन से करे कायल।।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)