मधु मालती छंद
आए अयोध्या राम हैं।
सांचा प्रभू का नाम है।।
दीपों सजी दीपावली।
काली निशा देखो टली।।
हर द्वार नौबत हैं बजीं।
नवदीप से नगरी सजी।।
हरिक दीप में उजास दो।
इस जगत की तुम आस हो।।
प्रभु राम से संसार है।
वे जगत के आधार है।।
कण-कण में बसते वही।
हर हृदय में सजते वही।।
रंजना माथुर
अजमेर राजस्थान
मेरी स्वरचित व मौलिक रचना
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