मधु कृति (हाइकु संग्रह समीक्षा)
मधु कृति (हाइकु संग्रह) हाइकु कवयित्री – श्रीमती मधु सिंघी
प्रकाशक : सृजन बिंब प्रकाशन प्रकाशन वर्ष 2017
पृष्ठ – 88 मूल्य ₹150
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हाइकु जगत में मधु जी का एक खास पेशकश हाइकु काव्य” मधु कृति”
समीक्षक : -प्रदीप कुमार दाश “दीपक”
हाइकु जगत में लेखिका मधु सिंघी जी एवं सृजन बिंब नागपुर द्वारा एक खास पेशकश के रूप में हाइकु संग्रह “मधु कृति” एक अनोखी हाइकु कृति है । मधु जी के हाइकुओं से मैं पूर्व परिचित हूँ वे बड़ी तल्लीनता से हाइकु रचती हैं एवं हाइकु विधा के प्रति उनका लगाव अनुकरणीय है । मधु जी के कई हाइकु मेरे द्वारा संपादित ऐतिहासिक हाइकु ग्रंथ “हाइकु मंजूषा” व “झाँकता चाँद” में संग्रहित है । इनके कई तांके “तांका की महक” मैं प्रकाशित हैं । मेरे द्वारा संपादित विश्व का प्रथम रेंगा संग्रह “कस्तूरी की तलाश” के रेंगा लेखन में भी वे सहभागी रही हैं इस प्रकार वे हाइकु विधा में एक सक्रिय हाइकु कवयित्री के रूप में अपनी सहभागिता प्रस्तुत कर रही हैं।
मराठी हाइकु के क्षेत्र में जहाँ पूणे प्रसिद्ध है वहीं इसी प्रांत के नागपुर क्षेत्र की धरा हिंदी हाइकु सृजन के लिए बेहद उर्वरक साबित हुई है। नागपुर में मुख्य रुप से इस मुहिम को आगे बढ़ाने वाले आदरणीय अविनाश बागड़े जी के प्रोत्साहन के फलस्वरुप कई हाइकुकार हिंदी हाइकु रचना की सही दिशा में संलग्न हैं । इस क्षेत्र के हाइकुकारों का आत्मीय सहयोग मेरे ऐतिहासिक कार्यों में मुझे निरंतर प्राप्त हो रहा है, जो मेरे लिए एक बड़े ही सौभाग्य का विषय रहा है ।
नागपुर से मधु जी का हिंदी हाइकु संग्रह “मधु कृति” का प्रकाशन मन में अपूर्व आनंद व उत्साह का संचार करता है । मैंने पुस्तक की प्रति आद्योपांत पढ़ी। पुस्तक में कई उत्कृष्ट हाइकु संग्रहित हुए हैं। पुस्तक की साज-सज्जा के साथ स्पष्ट छपाई एवं आकर्षक आवरण पृष्ठ मन को सहज मोह रहे हैं । 88 पृष्ठों में 528 हाइकु एवं 16 रंगीन पृष्ठों में 40 हाइगा का समावेश है। कुल 104 पृष्ठों की पुस्तक “मधु कृति” में बड़े सुंदर और प्रभावी हाइकुओं एवं हाइगाओं का समावेश है। पुस्तक में बेहद उम्दा चित्रों के प्रयोग हैं जो स्वयं कवयित्री द्वारा प्रवास के दौरान खींच कर प्रस्तुत किए गए हैं । हाइकु विधा से मधु जी का खास लगाव एवं उनकी तन्मयता उनके हाइकुओं में देखते ही बनती है। “मधु कृति” में संग्रहित कुछ उत्कृष्ट हाइकु को देखें एवं रसास्वादन करें—
संग्रह के प्रथम हाइकु से ही उत्साह का संचार हो उठता है –
हुई सुबह /मुट्ठी में भर लेंगे /नया आकाश । ( पृष्ठ 09 )
अन्य हाइकु जो मुझे बेहद प्रभावित किए –
उषा किरण /होता नव सृजन/ मन प्रसन्न । (पृष्ठ 09 )
मुझमें बेटी /सदा प्रतिबिंबित /छवि इंगित ।(पृष्ठ 12)
तपती धूप/ वृक्ष की घनी छाँव /देती ठंडक ।( पृष्ठ 17 )
सजाई अर्थी /राग ,द्वेष व दंभ/ सधा जीवन । (पृष्ठ 19)
प्रीत के रंग /अपनों का हो संग/मन मृदंग। (पृष्ठ 23)
सबकी सुन /खुद ही सहेजना/ मन की धुन। (पृष्ठ 23)
खुला आकाश /अनंत संभावना/ देता विश्वास। (पृष्ठ 26)
भोर जो मिली /फिर खिली है कली/ ये मनचली। (पृष्ठ 28)
द्वारे है रवि /नए कर्मों का मेला/ सुंदर छवि। (पृष्ठ 32)
भोर रुपसी/केशरिया दुपट्टा/ओढ़ के हँसी । (पृष्ठ 32)
बहता नीर /जब-जब आंखों से /कहता पीर । (पृष्ठ 37)
भोर के संग /नव चैतन्य ऊर्जा /भरते रंग। (पृष्ठ 38 )
ताल दे मेघ /बिजली करे नृत्य/ सावनी गीत। (पृष्ठ 46)
मन की डोर /कल्पना की पतंग /ऊंची उड़ान ।(पृष्ठ 47)
नारी व डाली /सिखाती है नम्रता/ भार सहती। (पृष्ठ 49)
मां की ममता /होती है अनमोल /सबसे जुदा ।(पृष्ठ 55)
रवि कमाल/घर घर जाकर /पूछता हाल। (पृष्ठ 57)
देती हौसला/ ऊँची अट्टालिकायें /छू लो आकाश। (रंगीन पृष्ठ हाइगा)
गुरु अनूप /कोई नहीं तुमसा /ईश स्वरूप। (पृष्ठ 68)
आंखों से बही/अविरल सी धारा /मां याद आई। (पृष्ठ 77)
बोल रहे हैं /सजे-धजे मकान /व्यक्ति पाषाण । (पृष्ठ 79)
लहू का रंग/ समझाये एकता /सब समान । ( पृष्ठ 88)
इस प्रकार विविध विषयों में रचे गए मधु जी के इन हाइकुओं में प्रकृति का सूक्ष्म निरीक्षण ,प्रकृति के विभिन्न उपादानों का सजीव चित्रण , प्रकृति के प्रति सहज सम्मोहन, उत्कृष्ट बिंबों का प्रदर्शन ,खुले आकाश में अनंत संभावनाओं की तलाश ,मेघों की ताल से बिजली का नर्तन, मन की डोर से कल्पना की पतंग की ऊँची उड़ान, सामाजिक भाव प्रसंगों के हाइकुओं में व्यक्ति के खोखलेपन, धार्मिक विद्वेष आदि आदि को समेटते हुए उत्कृष्ट हाइकु मन को सहज प्रभावित वह सम्मोहित करते हैं। “मधु कृति” के हाइकु शैल्पिक विधान पर खरे उतरते हुए कवियत्री के मन की सहजता पाठक के मन को मोहने में बेहद सक्षम है। अस्तु पाठक वर्ग से अपील करता हूं कि इस कृति का अवलोकन कर हाइकु कवयित्री मधु जी को अपने विचार प्रदान करें।
हाइकु जगत में मधु जी द्वारा रचित उनकी यह प्रथम हाइकु कृति “मधुकृति”का मैं जोरदार स्वागत करता हूँ, एवं हाइकु कवयित्री मधु जी से मैं आगे उम्मीद भी रखता हूँ कि इसी तरह हाइकु जगत की सेवा करते हुए अपनी उत्कृष्ट कृतियों को हमारे सामने प्रस्तुत करते रहें । इन्हीं अशेष शुभकामनाओं के साथ हाइकु कवयित्री आदरणीय मधु सिंघी जी को मैं अपने अंतर हृदय से बधाई ज्ञापित करता हूँ ।
-प्रदीप कुमार दाश “दीपक”
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