-मधुर स्मृति
समझ दिमाग से …
देख नजर भर कर….
क्या किसने ,कितना इस परोसा था
सरल सहज व्यवहार यही तो भरोसा था
जिस दोस्ती पर मुझे इतना नाज़ था
क्या वह दोस्ती का परिणाम ऐसा है जो आज था??
छू लिया था मेरे मन को
स्पर्श हुआ था मेरे अंतर्मन को
देखकर पहली बार तेरे इस निराले ढंग को
हां !नादान था, बेसमझ थोड़ा अंजान था
मधुर मुस्कान लिए कमाल था
याद आती है वह जब मधुर स्मृति
चेहरे पर गजब की खुशी छा जाती
लुटा कर अपनी कोमल स्नेहाशीष
जैसे पुष्प तितलियों को देता है मधु बिना टीस
यादों की उस पिटारी से
मै भी चुन लेती मधु सामान
पुनः पाती मधुर मुस्कान!!!
-सीमा गुप्ता