मधुर मिलन प्रेम सौगात
मधुर मिलन प्रेम-सौगात
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रहते तो हो पिया तुम साथ,
करती क्यों नही कोई बात।
रूठे – रूठे तुम रहते हो,
बता कौन है तम्हारे साथ।
मुँह क्यो फेरा तुमने हमसे,
करवटें बदल बिताई रात।
प्यासे नैनन में धीर धरो,
तन-मन हो स्नेह बरसात।
बीत गई सो है बात गई,
आओ करें नूतन शुरुआत।
शिक़वे-शिकायतें छोड़ दें,
अंधेरों को दें मिल मात।
सही राहों पे मिलकर चले,
बदले तीव्र तीखे ख्यालात।
सहनशील निष्ठावान बनो,
बरसाओ बदरा दोनों हाथ।
अनुरागी मन रखो बांवरा,
आई सुहानी बहुत प्रभात।
जब से दूरियां हैं बढ़ रही,
फ़ीके क्यों हैं तेरे जज़्बात।
नैनो से है नित नीर झरे,
बीत गए पूरे दिन सात।
विरह तो देता रहे वेदना।
गात जले संगी दिन-रात।
मनसीरत मन मेल रखिये,
मधुर मिलन प्रेम-सौगात।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)