मधुर चेतना
कैसे होगा कम,
जीवन का तम,
कौन हमे जगायेगा,
सही राह दिखायेगा,
जब कुछ न सूझे,
और कोई न बूझे,
कैसे अड़चन सुलझे,
चिंता आकर जकड़े मुझे,
तब सुनो अपने अंतर्मन को,
जगा लो अपनी मधुर चेतना को,
यही है मन की मधुर चेतना,
जो दूर करती जग की वेदना,