*मधुमास में मृदु हास ही से, सब सुवासित जग करें (गीत)*
मधुमास में मृदु हास ही से, सब सुवासित जग करें (गीत)
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मधुमास में मृदु हास ही से, सब सुवासित जग करें
मधु ज्यों भरा अनुपम पवन में, गूॅंजता संगीत है
शाश्वत पुरातन प्रेम ही की, दीखती बस जीत है
ढेरों जहॉं हो फूल बिखरे, पॉंव उस पथ पर धरें
मन में बसी कटुता पुरानी, छोड़कर आगे बढ़ें
संपूर्ण वसुधा मित्र मानें, पाठ कुछ ऐसे पढ़ें
सब की सुमंगल कामना से, मन लबालब हम भरें
उड़ती गगन में आज चिड़िया, राग देखो गा रही
मुस्कान फूलों पर अनूठी, देखिए क्या छा रही
जो-जो दिखें वह शत्रुताऍं, इस धारा से सब हरें
मधुमास में मृदु हास ही से, सब सुवासित जग करें
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रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451