Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
19 Dec 2022 · 1 min read

मधमक्खी

पीले पीले पंखों वाली ,मधुमक्खी है काली काली

फूलों का रस पी पीकर ये,मीठा-मीठा मधु बनाती
छत्ता अपना बड़ा बनाकर,जमा उसी में करती जाती
भिन भिन भिन भिन भिन भिन करती, डोला करती है मतवाली
पीले पीले पंखों वाली,मधुमक्खी है काली काली

सीधी लगती है दिखने में, क्रोध मगर इसका है भारी
डंक मारती है ये ऐसे, भुला हेकड़ी देती सारी
नहीं छेड़ना इसको देखो, इसका वार न जाता खाली
पीले पीले पंखों वाली ,मधुमक्खी है काली काली

होता भी आसान नहीं है, इसका छत्ता तोड़ा जाना
आग जलाकर धुँआ उड़ाकर, संभव होता कुछ कर पाना
उतना ज्यादा मधु होता है, छत्ते में जितनी हों जाली
पीले पीले पंखों वाली ,मधुमक्खी है काली काली

काम रात-दिन करती रहती, कभी नहीं ये तो सोती है
और परागन से धरती पर, ये ही बीजों को बोती है
इसके होने से ही जग में, छायी रहती है खुशहाली
पीले पीले पंखों वाली ,मधुमक्खी है काली काली

19-12-2022
डॉ अर्चना गुप्ता

Language: Hindi
1 Like · 1021 Views
Books from Dr Archana Gupta
View all

You may also like these posts

वक़्त की फ़ितरत को
वक़्त की फ़ितरत को
Dr fauzia Naseem shad
मैं नाकाम सही
मैं नाकाम सही
Shekhar Chandra Mitra
तोहर स्नेह
तोहर स्नेह
श्रीहर्ष आचार्य
थोड़ी मोहब्बत तो उसे भी रही होगी हमसे
थोड़ी मोहब्बत तो उसे भी रही होगी हमसे
शेखर सिंह
🙏🏻*गुरु पूर्णिमा*🙏🏻
🙏🏻*गुरु पूर्णिमा*🙏🏻
Dr. Vaishali Verma
🙅fact🙅
🙅fact🙅
*प्रणय*
As you pursue your goals and become a better version of your
As you pursue your goals and become a better version of your
पूर्वार्थ
ये ईश्वर की दया-दृष्टि ही तो है
ये ईश्वर की दया-दृष्टि ही तो है
Ajit Kumar "Karn"
“इटरमीडियट कैड़र का ड्रामा प्रतियोगिता”
“इटरमीडियट कैड़र का ड्रामा प्रतियोगिता”
DrLakshman Jha Parimal
*रामपुर में सर्वप्रथम गणतंत्र दिवस समारोह के प्रत्यक्षदर्शी श्री रामनाथ टंडन*
*रामपुर में सर्वप्रथम गणतंत्र दिवस समारोह के प्रत्यक्षदर्शी श्री रामनाथ टंडन*
Ravi Prakash
*कर्म बंधन से मुक्ति बोध*
*कर्म बंधन से मुक्ति बोध*
Shashi kala vyas
कनक थाल बैठे दो दीपक
कनक थाल बैठे दो दीपक
Madhuri mahakash
खुदा ने ये कैसा खेल रचाया है ,
खुदा ने ये कैसा खेल रचाया है ,
Chaahat
धोरां वाळो देस
धोरां वाळो देस
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
यथा नाम तथा न गुणा
यथा नाम तथा न गुणा
अमित कुमार
सीख
सीख
Ashwani Kumar Jaiswal
*मनः संवाद----*
*मनः संवाद----*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
अम्माँ मेरी संसृति - क्षितिज हमारे बाबूजी
अम्माँ मेरी संसृति - क्षितिज हमारे बाबूजी
Atul "Krishn"
आदमी क्यों  खाने लगा हराम का
आदमी क्यों खाने लगा हराम का
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
श्याम रुप छवि
श्याम रुप छवि
Sonu sugandh
सावन
सावन
Sarla Sarla Singh "Snigdha "
उन्हें इल्म हो भी तो कैसे इश्क का,
उन्हें इल्म हो भी तो कैसे इश्क का,
श्याम सांवरा
मंज़र
मंज़र
अखिलेश 'अखिल'
Home Sweet Home!
Home Sweet Home!
R. H. SRIDEVI
पाखंड
पाखंड
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
दिनकर शांत हो
दिनकर शांत हो
भरत कुमार सोलंकी
राम आगमन
राम आगमन
Sudhir srivastava
सदद्विचार
सदद्विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
उत्पादन धर्म का
उत्पादन धर्म का
Arun Prasad
23/53.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/53.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
Loading...