मधमक्खी
पीले पीले पंखों वाली ,मधुमक्खी है काली काली
फूलों का रस पी पीकर ये,मीठा-मीठा मधु बनाती
छत्ता अपना बड़ा बनाकर,जमा उसी में करती जाती
भिन भिन भिन भिन भिन भिन करती, डोला करती है मतवाली
पीले पीले पंखों वाली,मधुमक्खी है काली काली
सीधी लगती है दिखने में, क्रोध मगर इसका है भारी
डंक मारती है ये ऐसे, भुला हेकड़ी देती सारी
नहीं छेड़ना इसको देखो, इसका वार न जाता खाली
पीले पीले पंखों वाली ,मधुमक्खी है काली काली
होता भी आसान नहीं है, इसका छत्ता तोड़ा जाना
आग जलाकर धुँआ उड़ाकर, संभव होता कुछ कर पाना
उतना ज्यादा मधु होता है, छत्ते में जितनी हों जाली
पीले पीले पंखों वाली ,मधुमक्खी है काली काली
काम रात-दिन करती रहती, कभी नहीं ये तो सोती है
और परागन से धरती पर, ये ही बीजों को बोती है
इसके होने से ही जग में, छायी रहती है खुशहाली
पीले पीले पंखों वाली ,मधुमक्खी है काली काली
19-12-2022
डॉ अर्चना गुप्ता