*मद्यमय मध्यप्रदेश*
मधु-सी कोमल अंगों वाली, जब मधुशाला खोलेगी।
मध्यप्रदेश ‘मद्यप्रदेश’ बनेगा, ढक्कन महिला तोड़ेगी।।
न्यून था अत्याचार नारी, अब अति आचार बढ़ाएगी।
करुण-प्रेम से ममतामयी, अब मदिरापान कराएगी।।
मधुर-मधुर वाणी उसकी, जब कर्ण मधुरस घोलेगी।
घर-घर उचित दिशा ग्रहों को, अब संस्कारी बनाएगी।
अबला बला बन मद्यमयी हो, अब ‘मद्य’ प्रदेश बनाएगी।
अविकास समाजी नाश, जब शक्ति बन बिखराएगी।
कठोर परिश्रम अवर्णनीय गाथा, अब सक्षमता दर्शाएगी।
संस्कारी दूध पिलाने वाली माँ, जब बोतल हाथ थमाएगी।
सवाशेर बनेंगे उसके जाए, जब शक्ति क्षीण हो जाएगी।
‘मयंक’ अंत विकलांग पेंशन, तब बिन टेंशन वह पाएगी।