मदिरा
? ।। मदिरा ।।?
अगर दोस्त मिल जाते कहीं पर।
तब मदिरा खुल जाता वहीं पर।।
लगता है कि अब वही यार है।
इंसा़ में नहीं मदिरा में प्यार है।।
मदिरा अंदर जाता है तो ज्ञान की बात बताते हैं।
मिलकर आपस में सब मदिरा को गले लगाते हैं।।
क्या मिलता है इनको,ऐ जा़नें या जानें रब।
आपस में एक दूसरे को,कहते हैं भाई साहब।।
लड़ी प्याली में प्याली तो लगता जन्नत है सारा।
चैस मना कर कहते हैं, यही तो है भाईचारा।।
मदिरा नहीं अच्छा जीवन में,
ठान लीजिए अपने मन में।
नहीं पीना है हमको कभी भी,
खुश रहेंगे अपने भवन में।।
हाथ जोड़कर कहे “कमलेश,”मदिरा का अब त्याग करें।
जागो सोचो जग वालों,धन को ना बर्बाद करें।
✍️ प्रजापति कमलेश बाबू ?