मदिरा सवैया
धीर धरो धर धीरज साधक
नींद धरो नित श्वानन सा।
ध्यान बको सम धारण साधक
कान धरो निज बातन मा।
प्रेम सदा कर भ्रातन साधक
सीख धरो निज माथन पा ।
काग रहो निज चिंतन साधक
“प्रेम” सदा निज साधन का।
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
धीर धरो धर धीरज साधक
नींद धरो नित श्वानन सा।
ध्यान बको सम धारण साधक
कान धरो निज बातन मा।
प्रेम सदा कर भ्रातन साधक
सीख धरो निज माथन पा ।
काग रहो निज चिंतन साधक
“प्रेम” सदा निज साधन का।
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम