मदिरा भरे गिलास
ढलते ही हर शाम के, हो जाती है आस !
आएगी लेकर निशा, मदिरा भरे गिलास !!
पी कर बैरी भी मुझे,….हो जाते है खास!
मदिरालय के कह रहे,मदिरा भरे गिलास!!
रमेश शर्मा
ढलते ही हर शाम के, हो जाती है आस !
आएगी लेकर निशा, मदिरा भरे गिलास !!
पी कर बैरी भी मुझे,….हो जाते है खास!
मदिरालय के कह रहे,मदिरा भरे गिलास!!
रमेश शर्मा