मदिरा पीने वाला
दिन भर की मजदूरी के पैसे लेकर
जाता है जब मधुशाला
अमी के जैसे लगता है
उसे ज़हर का प्याला
पीकर के दो चार बोतलें
हो जाता है मतवाला
सब तनाव से मुक्ति मिल गई
ऐसा मन में भ्रम पाला
ऐसा नशा मदिरा पीने का
पीकर गुनाह कर डाला
पत्नी के आभूषण बेंच कर
दारू जब वह लाता है
खूब पिलाया यारों को तब
गाली देता जाता है
सड़क किनारे पड़ा हुआ वह
गीत न ए न ए गाता है
दुखित हो ग ए देखने वाले
कौन सा सुख वह पाता है