मदिरा पिलाते हैं (भक्ति- गीतिका)
मदिरा पिलाते हैं (भक्ति- गीतिका)
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(1)
उन्हें जो जानते भी हैं, कहाँ कुछ जान पाते हैं
बिना चेहरा लिए साहिब हमारे पास आते हैं
(2)
नशा शुरुआत में अक्सर कभी आया, नहीं आया
मगर अब उनके मदिरालय रोजाना खुल ही जाते हैं
(3)
कहाँ बाजार में मिलती है लोगों को दुकानों पर
जो अपने हाथ से साहिब हमें मदिरा पिलाते हैं
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रचयिता :रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451