मदहोश
तेरी ऊँगलियों की शरारत,
मुझे मदहोश करने लगी.
तेरी साँसों की हरारत,
लवों को खामोश करने लगी
ऐसा न हुआ एहसास कभी,
यूँ न हुआ बदहवाश कभी,
साँसों का ये पागलपन,
आहों का दीवानापन,
तेरी ये छुअन ही है जो
रफ्ता-रफ्ता मुझे मदहोश करने लगी.
हर पल संग तेरे मधुमास है,
तू पहली और आंखिरी अहसास है,
अधूरा सा हूँ अब तेरे बिन,
जन्मों की अबूझ प्यास है,
अमृत धारा का सोता तू
तू धड़कन तू ही स्वास है
प्रेम ज्योति आँखों में भरने लगी
रफ्ता रफ्ता मुझे मदहोश करने लगी