Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
12 Jul 2021 · 2 min read

मदद के हाथ

✍️ मदद के हाथ___
गांव से दूर शहर में बेटे बहू के साथ बुजुर्ग दंपत्ति रहने तो आगए, लेकिन आस पड़ौस से मेल मिलाप की पुरानी देसी रीत कायम रखे हुए थे। बेटे बहू के समझाने पर भी अम्मा नहीं बदलीं। आज सुबह अखबार पढ़ने में व्यस्त बुजुर्ग को उनकी पत्नी (अम्मा) ने चाय का कप पकड़ाते हुए कहा, सुन रहे हैं? बगल वाले फ्लैट में नया परिवार रहने आया है, अपनी मुनिया जैसी उम्र की ही लड़की है और मां बनने वाली है। अच्छा!बुजुर्ग पति के चेहरे पर एक बार को तो खुशी की चमक सी दिखी, फिर अखबार पढ़ने में व्यस्त हो गए। पत्नी का देहाती अपनापन, हर किसी में रिश्ता खोजने लगता। अम्मा की इस मदद की आदत से बुजुर्ग अभ्यस्त हैं। बेटे बहू तो काम पर चले गए, अम्मा अपनी चाय खत्म कर, बाई को जल्दी जल्दी सुबह के काम समझा, पूजा से निवृत हो,भरे शब्दों में बोली सुनो!आप शाम को कहीं जा तो नहीं रहे, बुजुर्ग को पता थी अम्मा पहले विश्वस्त हो जाना चाहती थी। बुजुर्ग के हां कहने पर, अम्मा ने अपनी इच्छा जाहिर कर दी। तो फिर शाम को मिल कर आते हैं नए पड़ोसियों से। क्या पता उन्हें किसी चीज की जरूरत हो, बुजुर्ग पति ने सिर हिलाकर हामी भरी। शाम को चाय का थर्मस और घर के बनाए लड्डू, मठरी का डिब्बा पॉली बैग में रख, उनका दरवाजा खटखटाया तो एक लड़के ने अनमने भाव से दरवाजा खोला, प्रश्नवाचक दृष्टि से देखा … जी आप ? बुजुर्ग बोले हम आपके पड़ौसी इसी फ्लोर पर, ये मेरी धर्मपत्नी हैं। ओह सॉरी… देखिए, युवक ने हाथ जोड़कर मानो उन बुजुर्ग को आगे कुछ कहने … बढ़ने से रोक दिया। और बोला … हम दोनों बहुत बिजी रहते हैं आपकी कोई मदद नहीं कर सकते। पर … बेटा हम तो, बुजुर्ग महिला ने कुछ बोलना चाहा पर रुक गई, इशारे से बुजुर्ग पति को घर वापस चलने को कहा। लड़की ने पूछा कौन थे, कुछ ना चाहते हुए भी सुनाई दिया। अरे! ये हमारे बुजुर्ग पड़ोसी थे। इनके अपने बच्चे पूछते नहीं होंगे, यहां चले आए, आज अपनापा दिखाएंगे कल से अपने रोने गाने शुरू कर देंगे, बेटा ये कर दो… बेटा वो कर दो … मैंने तो पहले ही नमस्ते कर दिया। घर आकर अम्मा चुपचाप काम में व्यस्त हो गई, एक दो दिन अनमनी रहेंगी फिर वैसी ही। अम्मा सोच रही थीं … क्या बड़े शहरों में भावनाएं भी मरती जा रही हैं?
____ मनु वाशिष्ठ, कोटा जंक्शन राजस्थान

2 Likes · 4 Comments · 490 Views
Books from Manu Vashistha
View all

You may also like these posts

शिक्षक दिवस पर दोहे
शिक्षक दिवस पर दोहे
Subhash Singhai
इश्क समंदर
इश्क समंदर
Neelam Sharma
सत्य शुरू से अंत तक
सत्य शुरू से अंत तक
विजय कुमार अग्रवाल
"समय क़िस्मत कभी भगवान को तुम दोष मत देना
आर.एस. 'प्रीतम'
"चलना और रुकना"
Dr. Kishan tandon kranti
वो आरज़ू वो इशारे कहाॅं समझते हैं
वो आरज़ू वो इशारे कहाॅं समझते हैं
Monika Arora
'चाँद गगन में
'चाँद गगन में
Godambari Negi
संत कवि पवन दीवान,,अमृतानंद सरस्वती
संत कवि पवन दीवान,,अमृतानंद सरस्वती
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
दिल की प्यारी
दिल की प्यारी
जय लगन कुमार हैप्पी
मेरा वजूद क्या है
मेरा वजूद क्या है
भरत कुमार सोलंकी
खाली पेड़ रह गए
खाली पेड़ रह गए
Jyoti Roshni
तुम आना ( भाग -२)
तुम आना ( भाग -२)
Dushyant Kumar Patel
खूबसूरत देखने की आदत
खूबसूरत देखने की आदत
Ritu Asooja
मैं एक श्रमिक।
मैं एक श्रमिक।
*प्रणय*
गलती पर फटकार
गलती पर फटकार
RAMESH SHARMA
न जाने शोख हवाओं ने कैसी
न जाने शोख हवाओं ने कैसी
Anil Mishra Prahari
खत्म हुआ है दिन का  फेरा
खत्म हुआ है दिन का फेरा
Dr Archana Gupta
वन को मत काटो
वन को मत काटो
Buddha Prakash
पढ़ना-लिखना तो ज़रूरी है ही,
पढ़ना-लिखना तो ज़रूरी है ही,
Ajit Kumar "Karn"
जो हैं आज अपनें..
जो हैं आज अपनें..
Srishty Bansal
क्रांक्रीट का जंगल न बनाएंगे..
क्रांक्रीट का जंगल न बनाएंगे..
पं अंजू पांडेय अश्रु
अक्षम_सक्षम_कौन?
अक्षम_सक्षम_कौन?
Khajan Singh Nain
चलते चलते थक गया, मन का एक फकीर।
चलते चलते थक गया, मन का एक फकीर।
Suryakant Dwivedi
4217💐 *पूर्णिका* 💐
4217💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
वो मुझे बस इतना चाहती है,
वो मुझे बस इतना चाहती है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
आधुनिकता : एक बोध
आधुनिकता : एक बोध
ज्ञानीचोर ज्ञानीचोर
कभी कभी ये जीवन आपके सब्र की परीक्षा लेता है आपको ऐसी उलझनों
कभी कभी ये जीवन आपके सब्र की परीक्षा लेता है आपको ऐसी उलझनों
पूर्वार्थ
!! मेरी विवशता !!
!! मेरी विवशता !!
Akash Yadav
विजया दशमी की हार्दिक बधाई शुभकामनाएं 🎉🙏
विजया दशमी की हार्दिक बधाई शुभकामनाएं 🎉🙏
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
कुंडलिया
कुंडलिया
Sarla Sarla Singh "Snigdha "
Loading...