मत बॉंधो मुझे
मत बांधो हवाओं को
अपनी बांहों के घेरे में
उड़ लेने दो …..
समय की गति के साथ !
खींचने दो कागज पर
ऑडी- तिरछी रेखाएं
या ,रंग-बिरंगी, बदरंग चित्रकारी
इन बेफिक्र, मासूम पन्नों पर
वह भी मासूमों की मासूमियत से
कदमताल करते हैं ,
उनकी चाही- अनचाही
जिज्ञासाओं में उभरते हैं !
उड़ा लेने दो छोटे-छोटे
कागज के जहाज,
महकने दो मासूमों की खुशबू को ,
चूम लेने दो —
बेफिक्री के सुर्ख गुलाबी गालों को
मस्ती में छलकते हुए पैमानों को
उड़ते हुए……. यह
नादान परिंदे हैं !
आज का यह वर्तमान
जल्द ही गुजर जाएगा ,
आने वाला कल
अपनी बाहें पसार कर
फंसा लेगा
अपने मकड़जाल में !
चाह कर भी
कल की बाहों से
तुम ,,आजाद नहीं हो पाओगे
कैद होकर रह जाओगे !!