मत बनो उल्लू
जाने कैसे उन्हें समझने में
तुमसे हो गई थी भूल
तुम उन्हें फूल समझते रहे
और वो तुम्हें अप्रैल फूल
हुआ क्यों ये तुम्हारे साथ ही
क्यों तुमने उसको दिल दिया
वो घूमती रही साथ तुम्हारे
लेकिन उसने तुम्हें बस बिल दिया
होता है कभी कभी ऐसा भी
जब मिल जाता है कोई खिलाड़ी तुम्हें
ख़ुद को समझते हो भाग्यशाली तुम
और वो समझता है अनाड़ी तुम्हें
तुम इंतज़ार करते हो उसका
वो किसी और के दिल में रहता है
आता है ज़रूर तुमसे मिलने भी वो
जब उसका टाइम पास नहीं होता है
दिखता है प्यार तुमको जिसमें
वो कभी उसको तुमसे नहीं होता
कभी ग़ौर करना मेरी बात पर तुम
वो कभी तुम्हारे लिए नहीं रोता
कब तक बनेगा बेवक़ूफ़ तू
कभी उससे पूछ कर तो देख
जान जाएगा, क्या है दिल में उसके
कभी आँखों में आँखें डाल कर तो देख
बन गये बहुत उल्लू अब तक तुम
अब और ख़ुद को बेवक़ूफ़ न बनाओ
है समय अभी भी, रहकर साथ उसके
खुद को तुम और उल्लू न बनाओ।