मत पूछ यहाँ आलम क्या है
मत पूछ यहाँ आलम क्या है,
तेरे जाने का गम क्या है।
चेहरे पे कई रुत आ के गई,
आँखों में मौसम नम सा है।
यादों से तेरी भर लेता हूँ,
दिल में जो ये खालीपन सा है।
सब कुछ हो कर भी जाने क्यों,
लगता है पर कुछ कम सा है।
नींदों में कोई छू जाता है,
तुम हो या कोई वहम सा है।
है दूर बहुत, पर दिखता है,
ये चाँद भी मेरे सनम सा है।
तुम लाख कहो, है इश्क़ बुरा,
मुझपे ये खुदा का करम सा है।