मत पूछो यारो,कोरोना में कैसे दिन काट रहा हूँ
मत पूछो यारो मुझसे,कोरोना में दिन कैसे मै काट रहा हूँ |
अपने मन की बाते करके तुमसे,अपना दुःख मै बाँट रहा हूँ ||
हो गई पढाई ऑनलाइन पर,बच्चो के लैपटॉप मै लगाता हूँ |
मिलता है जो होमवर्क उनको,उसको भी मै पूरा कराता हूँ ||
काम वाली बाई सब चली गई,उनके काम भी मै करता हूँ |
घर का झाड़ू पौछा करके, फिर बर्तन भी मांजा करता हूँ ||
घर में बैठकर कंप्यूटर से, दफ्तर का सारा काम मै करता हूँ |
पड़े डाट जब बॉस की मुझ पर,उसको भी फोन से सुनता हूँ ||
इस कोरोंना काल में भैया, मुसीबतो के पापड़ मै बेल रहा हूँ |
घर में रहती है बीबी,उसके हर नखरे भी मै खूब झेल रहा हूँ ||
घर मे बन्द हूँ कैदी की तरह,बाहर निकल नहीं मै जा सकता हूँ |
बच्चे भी जो फरमाईश करते,उन फरमाइशों को मै पूरा करता हूँ ||
करी सहायता जिन लोगो की,वे भी अब अपना मुँह फेर रहे है |
बुरा भला मुझको ही कहते,उल्टा ही वे सब मुझको घेर रहे है ||
खत्म हो जाता जब सामान,उसे ऑनलाइन भी मै मंगवाता हूँ |
अधिक पैसे देकर भी,कभी कभी खराब सामान मै पाता हूँ ||
आर के रस्तोगी
गुरुग्राम