मत पूछिए…
कभी किसी युवा से मत
पूछिए रोजगार की बात
राजनीतिकों ने ही दी सदा
उन्हें प्रतिकूलता की सौगात
रोजगार के अवसर हो गए हैं
अब गूलर के फूल की मानिंद
हर वर्ग औ जमात के युवाओं
की आंखों से उड़ गई है नींद
परीक्षाओं की शुचिता की भी
अब कहीं कोई रही नहीं गारंटी
फार्म भरते भरते रीत रही है हर
युवा के अभिभावकों की अंटी
ऐसे जब आप अनजाने में छेड़
देते हैं रोजगार से जुड़े सवाल
तो अचानक सुर्ख हो जाते हैं
निराश.हताश युवाओं के गाल
हां. खुद के जज्बातों पर आप
गंभीरता से रखिए पूरा नियंत्रण
राजनीति के मौजूदा ढर्रे को भी
सायास बदलने का लीजिए प्रण