मत जागरूकता
जागो कि तुम बार बार ही सो चुके,
बार बार अधिकार अपने खो चुके,
मानवता का यों हनन तुम कर चुके,
अपनी ही अहमियत को भूल चुके।
चुनौतियों को ही तुम स्वीकार करो,
अपने मत का तुम सदुपयोग करो,
अपने संविधान का तो सम्मान करो,
नवयुग का अब तुम ही निर्माण करो।
न रहेगी भुखमरी, न ही भ्रष्टाचार,
न होगी निरक्षरता,न ही अत्याचार,
न होगी गरीबी, न कोई बेरोज़गार,
बस न भूलो अब कभी मताधिकार।
हर बुराई को तुम ही दूर भगाओगे,
वोट के मूल्य को ही जब समझोगे,
खुशहाली तुम तब देश में लाओगे,
जब अच्छी सरकार को तुम पाओगे।
किसी भी लालच में न तुम आओ,
जाति पाति का कभी भेद न मानो,
बस तुम अब जागरूक हो जाओ,
अपने मताधिकार को तुम पहचानो।