मत जाओ
मत जा, ए मेरे हमदम,
यूं मुझको तन्हा त्याग के।
कैसे जीऊंगी तुझ बिन,
कैसे दिन कटेंगे बैराग के।
तेरे सिवा न कोई मेरा,
तेरा हृदय है कूचा मेरा।
बुझा बुझा है क्यूं मन तेरा,
तू ही हमदम उपवन मेरा।
क्यूं हमसे लीं तुुमने अंखियां चुरा,
कुछ तो बताओ हमें तुम ज़रा
कुछ तो कहो है ये क्या माजरा
ऐसा किया हमने क्या है बुरा।
नीलम शर्मा