मत गिनाओ कमियां बुजुर्गों की
मत गिनाओ कमियां बुजुर्गों की,
एक दिन तुम्हारे मे भी आयेगी।
मत करो गुबान इस जवानी का,
यें भी एक दिन चली जायेगी।।
दिखाई नही देगा जब आँखों से,
आँखों पर चश्मा चढ़ जायेगा।
सुनाई नहीं देगा जब कानो से,
उन पर मशीन जब लग जायेगी।।
तब तुम्हे ये कमियां नज़र आयेगी।
मत गिनाओ कमियां बुजुर्गो की
मत गिनाओ कमियां बुजुर्गों की,
एक दिन तुम्हारे मे भी आयेगी।
मत करो गुबान इस जवानी का,
यें भी एक दिन चली जायेगी।।
दिखाई नही देगा जब आँखों से,
आँखों पर चश्मा चढ़ जायेगा।
सुनाई नहीं देगा जब कानो से,
उन पर मशीन जब लग जायेगी।
तब तुम्हे ये कमियां नज़र आयेगी।
मत गिनाओ कमियां बुजुर्गों की,
एक दिन तुम्हारे मे भी आयेगी।।
ज़ब तुम्हारे हाथो मे कम्पन आयेगा,
जुबान भी तुम्हरी लड़खड़ाएगी ।
पैरो से नहीं तुम चळ पाओगे,
हाथो मे तुम्हारे छड़ी आ जायेगी।
तब अपनी कमियां नज़र आयेगी,
मत गिनाओ कमियां बुजुर्गों की,
एक दिन तुम्हारे मे भी आयेगी।।
ज़ब सब दाँत तुम्हारे टूट जायेंगे,
खाने पीने से मोहताज़ हो जाओगे।
कुछ खाना कपड़ो पे गिर जायेगा,
और कुछ जमीन पे गिर जायेगा।
तब अपनी कमियां नज़र आयेगी,
मत गिनाओ कमियां बुजर्गो की,
एक दिन तुम्हारे मे भी आयेगी।।
ज़ब रात मे तुम्हे नींद नहीं आयेगी,
दिन मे सोने के लिए झपकी आयेगी।
बेचैन रहोगे तुम दिन और रात को,
और ये बेचैनी हरदम तुम्हें रुलायेगी ,
तब तुम्हें हमारी बेचैनी याद दिलायेगी।
मत गिनाओ कमियां बुजुर्गो की,
एक दिन तुम्हारे मे भी ये आयेगी।।
आर के रस्तोगी गुरुग्राम