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17 Oct 2024 · 1 min read

sp54मत कहिए साहित्यिक उन्नयन

sp54 मत कहिए साहित्यिक
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मत कहिए साहित्यिक उन्नयन यह प्रतिभा का क्रिया कर्म है
पैसे दो सम्मान कराओ आज बन गया राजधर्म है

अंधेर नगरी बनी व्यवस्था खेल खेलते बड़े खिलाड़ी
जिसने पेटीएम जल्द कर दिया खूब चल रही उसकी गाड़ी

पहले मांगते हैं रचनाएं परिचय और अच्छी सी फोटो
उसके बाद दे रहे मैसेज जल्दी से गूगल पे कर दो

आत्मसम्मान है बहुत जरूरी नहीं रही अब मंच की चाहत
थोड़े सुधी पाठक मिल जाते मन को मिल जाती है राहत

मेरी 8वीं पुस्तक का शीर्षक 60 वर्ष की काव्य यात्रा
नहीं किया सम्मान से सौदा फेसबुक पर चल रही यात्रा
@
डॉक्टर इंजीनियर
मनोज श्रीवास्तव
sp54

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