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10 Sep 2021 · 1 min read

मत करना आराम

गीतिका
आधार छंद- सरसी ,१६-११ पर यति, २७ मात्रा
* मत करना आराम *
~~
श्रम करना है बहुत जरूरी, मत करना आराम।
व्यर्थ नहीं यूं ही बीते अब, सुबह दोपहर शाम।

भाव रखें अपने मन में हम, सुन्दर निर्मल स्वच्छ।
अपनी ही गति से है चलता, जीवन आठों याम।

सर्वोपरि है भक्ति प्रभु की, करते रहना नित्य।
सिद्ध हुआ करते हैं देखो, बिगड़े सारे काम।

सबको सुन्दर स्वच्छ चाहिए, सभी धरा के छोर।
यत्न करें इस हेतु आज मिल, महानगर हर ग्राम।

सबसे स्नेह रखें जीवन में, छोड़ें कलुषित भाव।
ईर्ष्या द्वेष भावना के तो, सुखद नहीं परिणाम।

स्वार्थ भाव रत इस दुनिया का, जान लीजिए सत्य।
यहां तुम्हें कुछ नहीं मिलेगा, बिना चुकाए दाम।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
-सुरेन्द्रपाल वैद्य, १०/०९/२०२१

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