मत्त सवैया
मत्त सवैया छन्द
16,16
कश्मीर मुकुट भारत माँ का, शोभा भी कितनी प्यारी है।
प्रकृति सौंदर्य बहुत सुंदर, मद मस्त बहारे क्यारी हैं
वीरों ने प्राण गवां करके,आतंकी जड़े उखाड़ी थी
पथ्थरवाजों को मार मार, फिर उनकी सकल बिगाड़ी थी
है किसकी हिम्मत हम देंखे, टुकड़े पर नजर उठाने की
जिसने भी ये हिम्मत कर दी, बलि होगी उसके प्राणों की
अभिनव मिश्र”अदम्य