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20 Jun 2020 · 1 min read

मत्तगयंद सवैया

दोस्तों बहनों का सदैव स्वागत

है बहना मन की अति सुंदर, कोमल है व्यवहार निराला।
मान लिया लड़ती मुझसे पर, प्रेम मिला उससे अति आला।
अग्रज हूँ यह धर्म निभे बस, हो न कभी उर में कछु काला।
नित्य करूंअभिनंदन मैं अब, देख रहा वह ऊपर वाला।।

पं.संजीव शुक्ल ‘सचिन’

Language: Hindi
5 Likes · 3 Comments · 260 Views
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