मत्तगयंद (मालती) सवैया छंद
मत्तगयंद (मालती) सवैया छंद
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मान लिया जब दूर हुए तब लक्ष्य तुझे लगते सपने से,
धीरज किन्तु रखो मन में यह दर्द बढ़ेगा सदा जपने से,
कष्ट हजार सहो पर यार यकीन रखो तुम तो अपने से,
कुंदन और निखार लिये दमके चमके सुन लो तपने से।
– आकाश महेशपुरी
दिनांक- 25/07/2020