Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
25 Oct 2020 · 1 min read

मत्तगयंत सवैया (हास्य रस)

रस का नाम :- हास्य रस
विधा:- मत्तगयंद सवैया
मापनी:- 211 211 211 211 211 211 211 22
————————————————————————–
रचना
( ०१ )
बासन माज रहे सजना सजनी चलचित्र न देख अघाती।
वासन धोकर हाथ दुखे सर हाथ रखे बलमा दिन-राती।
कौन कसूर हुआ हमसे यह सोच रहा फटती निज छाती।
ब्याह किया खुश था कितना पर आज जलूं जस दीपक बाती।।

( ०२ )
कूट रही सजनी हमको कह वक्त पड़े दिखते कब स्वामी।
भृंग बने फिरते रहते तुम देख कली लुभते खलकामी।
श्वान समान विचार भरे मन ढ़ूंढ रहा कलियां अभिगामी।
पंथ – कुपंथ गहे हरबार कहे खुद को खुद अंतरजामी।।

( ०३ )
नाचत गावत बर्तन मांजत है कटता अब काल हमारा।
जान जिन्हें कहता रहता वह नोच रही सर बाल हमारा।
देख लिया पर नार कही तब लाल हुआ अजि गाल हमारा।
कौन सुने मम पीर जिआ इस जीवन में बन ढाल हमारा।।
———————————————————————
घोषणा :- मेरी यह रचना स्वरचित है।
(पं.संजीव शुक्ल ‘सचिन’)
————————————-

1 Like · 2788 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from संजीव शुक्ल 'सचिन'
View all
You may also like:
◆ कीजिए अमल आज से।
◆ कीजिए अमल आज से।
*प्रणय प्रभात*
खांचे में बंट गए हैं अपराधी
खांचे में बंट गए हैं अपराधी
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
🌺आलस्य🌺
🌺आलस्य🌺
सुरेश अजगल्ले 'इन्द्र '
एक औरत की ख्वाहिश,
एक औरत की ख्वाहिश,
Shweta Soni
मुश्किल हालात हैं
मुश्किल हालात हैं
शेखर सिंह
सजल...छंद शैलजा
सजल...छंद शैलजा
डॉ.सीमा अग्रवाल
औरत की नजर
औरत की नजर
Annu Gurjar
मतदान करो मतदान करो
मतदान करो मतदान करो
इंजी. संजय श्रीवास्तव
कर्म
कर्म
Dhirendra Singh
बड़ी मुद्दतों के बाद
बड़ी मुद्दतों के बाद
VINOD CHAUHAN
गुरुर ज्यादा करोगे
गुरुर ज्यादा करोगे
Harminder Kaur
इतनी के बस !
इतनी के बस !
Shyam Vashishtha 'शाहिद'
यहां कश्मीर है केदार है गंगा की माया है।
यहां कश्मीर है केदार है गंगा की माया है।
सत्य कुमार प्रेमी
“जब से विराजे श्रीराम,
“जब से विराजे श्रीराम,
Dr. Vaishali Verma
ला-फ़ानी
ला-फ़ानी
Shyam Sundar Subramanian
मां की जीवटता ही प्रेरित करती है, देश की सेवा के लिए। जिनकी
मां की जीवटता ही प्रेरित करती है, देश की सेवा के लिए। जिनकी
Sanjay ' शून्य'
"मैं और तू"
Dr. Kishan tandon kranti
मासी की बेटियां
मासी की बेटियां
Adha Deshwal
एकांत में रहता हूँ बेशक
एकांत में रहता हूँ बेशक
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
निरुद्देश्य जीवन भी कोई जीवन होता है ।
निरुद्देश्य जीवन भी कोई जीवन होता है ।
ओनिका सेतिया 'अनु '
सन्देश खाली
सन्देश खाली
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
जिन स्वप्नों में जीना चाही
जिन स्वप्नों में जीना चाही
Indu Singh
जब मेरा अपना भी अपना नहीं हुआ, तो हम गैरों की शिकायत क्या कर
जब मेरा अपना भी अपना नहीं हुआ, तो हम गैरों की शिकायत क्या कर
Dr. Man Mohan Krishna
बैरिस्टर ई. राघवेन्द्र राव
बैरिस्टर ई. राघवेन्द्र राव
Dr. Pradeep Kumar Sharma
जय माता दी ।
जय माता दी ।
Anil Mishra Prahari
प्रेम निभाना
प्रेम निभाना
लक्ष्मी सिंह
कहानी घर-घर की
कहानी घर-घर की
Brijpal Singh
परमात्मा
परमात्मा
ओंकार मिश्र
*नृप दशरथ चिंता में आए (कुछ चौपाइयॉं)*
*नृप दशरथ चिंता में आए (कुछ चौपाइयॉं)*
Ravi Prakash
कुछ फ़क़त आतिश-ए-रंज़िश में लगे रहते हैं
कुछ फ़क़त आतिश-ए-रंज़िश में लगे रहते हैं
Anis Shah
Loading...