मतवाला
प्यास ना मेरी बुझेगी इससे
दूर हटा लो अपना प्याला
खुशियों का मधु तुम्हें मुबारक
हम तो पीते दर्द की हाला
इस दुनिया में नहीं दोस्तों
मिलता सबको हंसने का हक
क्यों भिक्षा उल्लास की मांगे
हम तो बस पीड़ा के ग्राहक
अमिय छोड़ हम पिये हलाहल
लोग कहे हमको मतवाला
नेह सभी से करते निश्छल
हम प्रतिदान मांगते कब हैं
अपमानित ना होय मनुजता
हम सम्मान मांगते कब हैं
हर प्राणी के अंदर देखा
हमने शंकर और शिवाला