मतला ( एक शे’र ) मिरे हिस्से में हमेशा ग़म आये हैं । वो कहते हैं लेकिन कम आये हैं ।। ©डॉक्टर वासिफ़ काज़ी , इंदौर ©काज़ीकीक़लम