मतलबी दुनियां
मतलबी दुनियां
इस ज़माने के सारे लोग मतलबी हो गये।
जो थे अपने आज पराये हो गये।।।।
किसको क्या कहे मतलब की दुनियां में,
सब मगरूर हुये बैठे है खुद की दुनियां में।।।।
जब तक मतलब नही निकलता तब तक तितलियाँ भी फूलों पर मंडराती है,
रंग चुरा फूलों का कहाँ फिर वो टिक पाती है।।
जमाने के कितने रंग बदल गये,
दौलत और शौहरत के नशे में लोग कितने चूर हो गये।।
मतलब से ही दुनियां देखो करीब आती है।
जब होता नही बंगला ,गाड़ी पैसा तो कोषों दूर भागती है।।।।।।
मतलब से ही सब साठ गाँठ कर अपना उल्लू सीधा करते हैं,,
वरना मुश्किल के वक्त सबके सब पल्लू छुड़ाया करते है।।।।।।
सोनू नही कोई ऐसा दुनियां में एक भी इंसान,
जो न हो कभी किसी चीज से परेशान।।।।।
अपने भी तब तक रिश्ता बनाये रखते है,
जब तक इच्छा गठरी रुपयों की अपनो से लूटना की रखते हैं।।।।
मतलब की दुनियां में मीठी बातों के रसगुल्लु लुटाते है लोग,
सीधी ऊँगली से घी न निकले तो टेडी ऊँगली से मतलब निकालते है लोग।
रचनाकार
गायत्री सोनू जैन
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