मतलबी इंसान हैं
अपनी जिद में दोष देना दुनिया को आसान है
मतलबी दुनिया नहीं है मतलबी इंसान हैं
मतलबों में मतलबी अब हो गए ईमान वाले
मतलबों का मतलब तो बस जानते हैं जान वाले
दुनिया को मतलब पता न दुनिया तो बेजान है
मतलबी दुनिया नहीं है मतलबी इंसान हैं
बोलो क्या मतलब रखेंगे सूर्य,चंदा और तारे
मतलबों पर कब चले हैं नदियां और पर्वत हमारे
झरनों ने बोलो भला कब मांगा क्या सामान है
मतलबी दुनिया नहीं है मतलबी इंसान हैं
दुनिया तो आगे बढ़ी पर हो गया नादान अब
मतलबों के पीछे पागल हो गया इंसान अब
इंसान की हरकत से आजिज हो गया इंसान है
मतलबी दुनिया नहीं है मतलबी इंसान हैं
रीतियां जब थीं बदलती तब तो था आया कोई न
जग को सब निकले बदलने खुद बदल पाया कोई न
झांकना खुद में कठिन उपदेश तो आसान है
मतलबी दुनिया नहीं है मतलबी इंसान हैं
साफ मन, सच्चा हृदय, अच्छी नियत अब है कहां
हो गए शैतान सब इंसानियत अब है कहां
शैतानों ने कर ली तरक्की हो गए हैवान हैं
मतलबी दुनिया नहीं है मतलबी इंसान हैं
विक्रम कुमार
मनोरा, वैशाली