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25 Jan 2023 · 4 min read

मतदान हर भारतीय नागरीक का प्रथम कर्तव्य है |

प्रस्तावना – 26 जनवरी 1950 को जब भारत का संविधान पूर्ण रुप से सम्पूर्ण देश में अमल में आया तो विश्व के सामने भारतीय लोकतंत्र का एक नवीन उदाहरण प्रस्तुत हुआ | हमारे संविधान निर्माताओं ने भारत के प्रत्येक नागरीक को एक समान रुप से बीना लिंग , समुदाय , जाति या पंथ का भेद किए अपना मत देने का अधिकार प्रदान किया , यह अधिकार हमारे संविधान का वह उपहार है जो यह सुनिश्चित करता है कि राष्ट्र एवं राज्य के सम्मुख प्रत्येक नागरीक एक समान है और उसके दिए मत का मूल्य भी एक समान ही है तथा वह देश एवं राज्य के प्रतिनिधियों को चुनने का हक एक समान ही रखता है जिसे उससे कोई नही ले सकता है |

लोकतंत्र में मतदान का योगदान – दुनिया ने बहुत लंबे दौर तक राजशाही देखी थी तथा इसी का क्रुर रुप तानाशाही भी अपने भयावह परिणाम दिखा चूका था और इसकी मूल वजह एक ही थी कि सत्ता पर बैठने वाला व्यक्ति किसी के प्रति उत्तरदायी नही था बस यहीं से लोकतंत्र का जन्म हुआ | प्राचीन रुप में लोकतंत्र भारतीय विचार है जिसकी रुपरेखा बहुत कुछ कौटिल्य के अर्थशास्त्र में मिलती है पर लोकतंत्र का नवीन व वर्तमान स्वरुप यूरोप में विकसित हुआ | नवीन लोकतंत्र में सत्ता पर बैठने वाला व्यक्ति पूर्ण रुप से जनता के प्रति उत्तरदायी होगा जिसका चुनाव जनता ही करेगी और यदि वह अपने दायित्व का निर्वाह सफलतापूर्वक नही कर पाता तो जनता ही उसे मतदान के माध्यम से सत्तामुक्त भी कर देगी | अत: अब सत्ता विरासत में नही बल्कि बहुमत से मिलने लगी यहि कारण है कि लोकतंत्र में मतदान ही वह एकमात्र तरिका है जो लोकतंत्र को बचाएं रख सकता है |

मतदान का अधिकार किसे है – भारत में रहने वाला हर वह व्यक्ति जो 18 वर्ष की आयु पुर्ण कर चूका है भारत में वोट डाल सकता है | मतदान करने के लिए उसके पास मतदाता पहचान पत्र होना अनिवार्य है | यदि भारत में कोई युवा 18 वर्ष की आयु पुर्ण कर चूका है तो उसे अपना नाम निर्वाचन नामावली में जुड़वाना होता है वह इस कार्य के लिए निर्वाचन आयोग में ऑफलाइन या अब ऑनलाइन भी आवेदन कर सकता है तथा उसका नाम जुड़ने के पश्चात उसे मतदाता पहचान पत्र प्रदान कर दिया जाता है |

भारतीय लोकतंत्र में मतदान – भारत एक लोकतांत्रिक गणराज्य है | भारत में प्रत्येक पांच वर्ष में चुनाव कराया जाना अनिवार्य है , भारत निर्वाचन आयोग भारत में लोकसभा , राज्यसभा , राष्ट्रपति , उपराष्ट्रपति तथा विभिन्न राज्यों की विधानसभाओं का चुनाव कराने के लिए उत्तरदायी है तथा राज्यों में स्थित राज्य निर्वाचन आयोग त्रिस्तरीय नगरपालिकाओं तथा पंचायतों का चुनाव कराने के लिए जिम्मेदार है | जब भी देश में या राज्य मे कोई चुनाव होता है तो देश का नागरीक अपने संबंधित क्षेत्र में वोट डाल सकता है |

मतदान करना क्यों आवश्यक है – भारत देश जैसे दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक राष्ट्र में प्रतिनिधियों का चुनाव वोटिंग के माध्यम से होता है और एक बार चुनकर आया प्रतिनिधि पांच वर्ष के लिए प्रभावी रहता है | जब भी हमारे राज्य के विधानमण्डल या फिर देश में लोकसभा के सदस्यों का चुनाव होता है तो हमे अपने क्षेत्र के विधायक या सांसद को चुनने का अवसर वोट के माध्यम से होता है और हमे इस अवसर का सदुपयोग बढ़-चढ़ कर करना चाहिए जिससे क्षेत्र को एक उत्तम प्रतिनिधित्व मिल सके जो क्षेत्र और देश के विकास में सकारात्मक योगदान दे सके |

मतदाता के मूल कर्तव्य – जब भी भारत में चुनाव संपन्न हो जाता है तो चुनाव आयोग वोटिंग का प्रतिशत जारी करता है इससे यह पता चलता है कि देश में कितने वोटर हैं और कितने लोगों ने अपने वोट देने के अधिकार का प्रयोग किया और यह बहुत ही चिंतनीय विषय है की यह प्रतिशत कभी भी 100 प्रतिशत नही होता | तात्पर्य यह कि कभी भी पूरे वोटरों ने अपने अधिकार का प्रयोग नही किया जो कि किसी भी लोकतंत्र के लिए चिंता का विषय है | देश के हर वोटर को वोट डालने को अपना मौलिक कर्तव्य समझना चाहिए तथा लोकतंत्र में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करनी चाहिए |

लोकतंत्र में एक जागरुक मतदाता का महत्व – जब राज्य मे या देश में किसी भी चुनाव का विभिन्न दल अपने उम्मीदवारों का प्रचार प्रसार करते हैं तो यह देखा जाता है की बहुत से दल वोटर को अपनी तरफ आकर्षित करने के लिए विभिन्न प्रकार के प्रलोभन देते हैं तथा धर्म एवं जाति के मुद्दे को उठाकर मतदाता को बरगलाने का प्रयास करते हैं मगर एक जागरुक वोटर ना तो किसी तरह के लालच में आता है और ना ही जाति , पंथ एवं भाईभतिजावाद जैसे अनरगल प्रयोजनों में फंसता है तथा वह निष्पक्ष एवं तटस्थ रहकर अपने वोट का प्रयोग करता है एवं एक योग्य कर्मठ एवं प्रभावशाली उम्मीदवार का चयन करता है | सही मायने में एक जागरुक मतदाता ही एक स्वस्थ एवं मजबूत लोकतंत्र का आधार स्तंभ है |

उपसंहार – लोकतांत्रिक ढांचे में मतदान का योगदान सर्वोपरि है और मतदाता ही इसका रक्षक है | प्रत्येक वोटर का यह प्रथम कर्तव्य है कि वह मतदान करे | भारत में भारत का प्रत्येक नागरीक मतदान करने का अधिकार है और वह इसका प्रयोग निर्बाधरूप से कर सकता है | हर वोटर को प्रत्येक चुनाव में पुरी गरिमा एवं जागरुकता के साथ मतदान करने को राष्ट्र के प्रति अपना प्रथम कर्तव्य समझते हुए मतदान करना चाहिए |

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