मतदान कौन करता है?( लघुकथा )
मतदान कौन करता है?( लघुकथा )
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“हमारी तो राजनीति में कोई दिलचस्पी है नहीं, बल्कि हम तो वोट भी डालने नहीं जाते हैं। बस यह समझो कि वोट वाले दिन छुट्टी हो जाती है। कुछ घर के काम निपटाए, कभी मॉल चले गए, पिक्चर देख ली या फिर कहीं बाहर का प्रोग्राम बना लिया”
फ्लैट में रहने वाले यह दो सज्जन आपस में बातचीत कर रहे थे।” बिल्कुल सही बात है ”
दूसरे ने पहले की बात का समर्थन किया।” मैं भी आज तक वोट डालने नहीं गया। क्या होता है इन नेताओं के भाषणों से और इन को चुनकर भेजने से ?हमारी जिंदगी तो हम अपने हिसाब से ही तय करते हैं, जीते हैं और बनाते हैं ”
धीरे धीरे वे लोग घूमते हुए फ्लैट के निकट के पार्क में चले गए। वहां पर भी काफी लोग उन्हीं के विचारों के थे।
” हमें तो भाई शांति अच्छी लगती है। यह जो चुनाव का शोर- शराबा है, हम इसे बिल्कुल पसंद नहीं करते ।”
जब झुंड बैठा तो सब अपनी- अपनी बातें करने लगे । बातचीत ऐसे ही आगे बढ़ती गई ।
फिर विषय पलटा और आया “अभी भी हमारा देश अमेरिका और रूस चीन के मुकाबले में बहुत पीछे है । कोई विकास का दृष्टिकोण नहीं है ।अब आप देख लो, कश्मीर में आतंकवादी हमले होते हैं और उसका कोई हल नहीं निकल पाता। अलगाववाद पनप रहा है ,सरकारें आजादी के बाद से कोई ठोस काम नहीं कर पा रही हैं। भ्रष्टाचार चारों तरफ है, मुफ्तखोरी है, प्रतिभाशाली लोगों को आगे बढ़ने के अवसर नहीं हैं ,कोई सरकार अच्छे ढंग से काम ही नहीं करती “-एक सज्जन ने जब यह प्रश्न उठाया तो फिर एक के बाद एक सभी जैसे सरकारों और राजनीतिज्ञों तथा राजनीतिक पार्टियों पर बरस पड़े ।
“बच्चों को पैरों पर खड़ा करने के लिए हम लोग कितनी मेहनत करते हैं, पढ़ाते हैं लिखाते हैं और हम जानते हैं कि छोटा परिवार कितना जरूरी है ।लेकिन सरकार के कानों पर जूँ ही नहीं रेंगती।”
” बिल्कुल सही है भाई साहब ! सरकार को तो खाली मुफ्त के रुपए बांटकर वोट पक्के करने रहते हैं । यह लोग हमारे मेहनत की कमाई के पैसे से वोट बैंक तैयार करने में लगे रहते हैं ”
“बिल्कुल सही कहा ! इनकी हिम्मत भी नहीं पड़ती कि आने वाले समय में परिवार नियोजन स्कीम लागू करें ।सबसे ज्यादा जरूरी यही है 60 साल की उम्र तक सबको मेहनत करना चाहिए ।उसके बाद बुढ़ापे में चाहे भले ही पेंशन दो ”
“अरे साहब ! चर्चा करने से क्या होता है? सरकारें कोई काम नहीं करतीं।….”
फिर कुछ देर इसी तरह सब लोग बातें करते रहे ।और उसके बाद मतदान वाले दिन जो छुट्टी उन्हें मिली थी ,उसका इस्तेमाल किस तरह घरेलू कामों के लिए अथवा मनोरंजन या दूसरे कार्य में उस दिन का इस्तेमाल कैसे किया जाए, इसके बारे में सब लोग सोचने लगे । उनमें से किसी को मतदान करके सरकार बनाने की चिंता नहीं थी। अंत में सब लोग अपने-अपने फ्लैट में चले गए और कॉलोनी में शांति छा गई।
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लेखक रवि प्रकाश बाजार सर्राफा
रामपुर उत्तर प्रदेश मोबाइल 99976 15451