मतदान किया !
आज मिला है मौका तो निज,
अधिकारों का आह्वान किया।
मतदान किया मतदान किया,
मैंने स्वेक्षा से मतदान किया।।
हाँ मैं जनता हूँ, मैं चुनता हूँ,
न व्यर्थ किसी की सुनता हूँ।
मैं स्वार्थ कि परिपाटी से उठ,
सत्ताधीशों की कुर्सी बुनता हूँ।।
बिन लालच बिन लेन देन का,
एक निराला अभिदान किया।
मतदान किया मतदान किया,
मैंने स्वेक्षा से मतदान किया।।
कौन है अपना कौन पराया,
न बोला दिल मे कौन समाया।
देखा तो केवल राष्ट्र हितैषी,
जो हो जनता का हमसाया।।
यह माना कि मैं विशिष्ट नहीं,
फिर भी मैंने अधिदान किया।
मतदान किया मतदान किया,
मैंने स्वेक्षा से मतदान किया।।
जात पात का भेद मिटाकर,
रुष्ट द्वेष का भाव भुलाकर।
इंसानियत का पाठ पढ़ा जो,
खर्च किया उसे आज भुनाकर।।
छान के छलनी कंकड़ पत्थर,
ले शीश शिर्ष अभिधान किया।
मतदान किया मतदान किया,
मैंने स्वेक्षा से मतदान किया।।
©® पांडेय चिदानंद “चिद्रूप”
(सर्वाधिकार सुरक्षित ०७/०३/२०२२)