मतदान करो
मतदान करो, मतदान करो
सब जाकर के मतदान करो।
लोकतंत्र का पर्व ये पावन,
इसका तुम सम्मान करो।
प्रगति राष्ट्र की इससे ही है,
इसको न अनजान करो।।1।।
कौन सही और गलत कौन है,
इसकी तुम पहचान करो।
राष्ट्र के तुम ही हो निर्माता,
इसका न अभिमान करो।।2।।
प्रेम प्रतिज्ञा करुण भाव से,
तुम अपने मत का दान करो।
राष्ट्र प्रेम से ओतप्रोत हो,
चरित्र को अपने महान करो।।3।।
गर्व हमें हम भारतवासी,
राष्ट्र की ऊंची शान करो।
उज्ज्वलता की बहती गंगा,
इस दिव्य सुधा का पान करो।।4।।
स्वरचित कविता
तरुण सिंह पवार