मतदाता
मतदाता से मत लेकर मतदाता का सम्मान भी करना
उनके काम को मत मत कहना उनसे बचकर रहना।
फर्श से अर्श पर पहुँचाए तुम्हें वो है मतदाता
अर्श से फर्श पर वही तो है लाता।
एक एक मत की कीमत होती यही इक है सार
बनाए रखना हरदम अपना मतदाता से प्यार।
गर राजभवन में राज है करना हाल पूछते रहना——–
लोकतंत्र में जनता ही होती सबसे ऊपर है
पांच साल चुप रहती रखती हर पल नजर है।
काम जो अच्छा करते कुर्सी पर उसे बिठाती है
मूर्ख बनाए कोई उसे तो कुर्सी फिर छिन जाती है।
टिकता वही जो सीख लेता उनकी हां में हां कहना———
जो जनता की सेवा करके पाता उनका प्यार है
वही चमकता देश में ही उसका बेडा पार है।
दुआएँ मिलती खूब भोगता हमेशा सुख सत्ता के
नाम हो जाता अमर फिर समझे जो फर्ज सत्ता के।
समझदार हैं आप मैं क्या समझाऊँ पहनो यही गहना——-
अशोक छाबडा