” मटको चिड़िया “
” मटको चिड़िया ”
दाने चुगती है वो पार्क में
धीमे धीमे कभी तेजी से
खुश रहती है हरियाली में
मस्ती छाये तब वो उछलती,
आई धीरे से मीनू के पास
हाथ पर रखा दाना खाया
चोंच का आभास था मुझे
संगी संग वो है कुदकती,
मंद मंद हुई थी तब बारिश
खेल खेलने को थी आतुर
फुहार पाकर बरसात की
बारिश में है वो चहकती,
साथ दिया नन्ही संगिनी ने
ऊधम मचाया जब दोनों ने
मटको चाल चले मतवाली
नृत्य मुद्रा में वो फुदकती।