*मटकी तोड़ी कान्हा ने, माखन सब में बॅंटवाया (गीत)*
मटकी तोड़ी कान्हा ने, माखन सब में बॅंटवाया (गीत)
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मटकी तोड़ी कान्हा ने, माखन सब में बॅंटवाया
1) h
मटकी मिट्टी की सूखी, पर भीतर चिकना माखन
मटकी में मक्खन मतलब, कब समझा है भोगी जन
इसका मतलब आत्मतत्व, योगी ने तन में पाया
2)
बिना देह भेदे कैसे, आत्मा बतलाई जाए
क्रिया-योग मटकी फूटे, यह तभी समझ में आए
बाल-सखाओं को लेकर, बचपन में योग कराया
3)
तन का मूल्य दो टका है, यह तोड़ो या मत तोड़ो
मूल्य परम सत्ता का है, उस ओर दृष्टि को मोड़ो
होती मिट्टी की काया, यह गीता में समझाया
रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा ,रामपुर, उत्तर प्रदेश मोबाइल 9997615451